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ग्रामोपाख्यान

गाँवों का इतिहास वस्तुतः धरती की मिट्टी और पानी में घुला इतिहास है. हज़ारों बरसों की सभ्यता यात्रा में मानवजाति का श्रमशील हिस्सा अपनी विराट उपस्थिति और उपलब्धियों के बावजूद वर्चस्वशाली तबकों द्वारा दबाया जाता रहा है. इस उपक्रम में गाँव की खाक में मिली उन्हीं सूरतों और प्रतिरोध की कहानियों को भाषा में संजोने की कोशिश की जा रही है. भूगोल के बदलते स्वरूपों के बीच लोकाख्यानों, श्रुतियों, गजेटियरों, अभिलेखों, अवशेषों और विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सबूतों के आधार पर वस्तुवादी दृष्टिकोण से ग्रामोपाख्यानों की रचना एवं उन्हें ऑनलाइन करना. पहले चरण में पूर्वांचल के लगभग एक हज़ार गाँवों पर काम हो रहा है.

संस्कृति

ग्रामीण अभिनेता, दस्तकार, कलाकार, चित्रकार, लोकगायक, वादक, खिलाडी, पहलवान, स्वतंत्रता सेनानी, विद्रोही, जननेता, समाजसेवी, वैज्ञानिक, वैद्य, चिकित्सक और आविष्कारक का सर्वेक्षण और प्रोफाइल तैयार करना तथा उन्हें ऑनलाइन करना. उनके विस्तृत परिचय, फोटोग्राफ्स और प्रस्तुतियों के ऑडियो और वीडियो को अपलोड करना ताकि सारी दुनिया के लोग उनको देख और प्रेरित हो सकें. उनके कामों के मूल्यांकन की व्यवस्था और प्रदर्शन. जनजागृति में उनके योगदान को और बढ़ाना.

ग्रामीण रंगकर्म

ग्रामीण अभिनेताओं और कलाकारों को संगठित करते हुए उन्हें मौलिक और समकालीन अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित करना, कलाकारों के जीवन निर्वाह के लिए समुचित संसाधन जुटाना, वर्कशॉप आयोजन और नाट्य-प्रस्तुतियों की श्रृंखलाएं तैयार करके विभिन्न गाँव-कस्बों और नगरों में प्रस्तुतियां देना.

रिपर्टरी

स्थानीय अभिनेताओं को संगठित करके वहां एक रिपर्टरी की स्थापना और लगातार मंचन. रंगमंच पर पारंपरिक शैलियों और कथानकों के साथ नए प्रयोग तथा समकालीन जीवन के साथ उसके अंतर्संबंध की स्थापना और विकास.

विदेशों में प्रस्तुतियां

अखिल भारतीय स्तर पर कलाकारों के संगठन और उनकी प्रतिभा के मूल्यांकन के बाद उनकी कला के बेहतरीन और शाहकार प्रतिरूपों को दुनिया भर में प्रस्तुत और प्रदर्शित करना.

साहित्यिक आयोजन

प्रतिवर्ष कम से कम दो वृहत्तर साहित्यिक आयोजन करना जिसमें साहित्य और समकालीन जीवन पर विचार गोष्ठी के साथ कविता-पाठ, कहानी पाठ, नाट्य-प्रस्तुति और किस्सागोई जैसे कार्यक्रम होंगे.

पुस्तक मेला

(प्रत्येक शनिवार-रविवार ग्रामीण स्तर पर पुस्तक मेलों का आयोजन, स्थानीय कलाकारों और बुद्धिजीवियों के माध्यम से लोगों को पुस्तक और पत्रिकाओं के प्रति अभिरुचि जगाना )

जनसिनेमा – प्रदर्शन और एप्रिसिएशन

गाँव-गाँव में प्रोजेक्टर से सिनेमा का आयोजन, विश्व सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों का प्रदर्शन, दर्शकों से बातचीत और रिकॉर्डिंग. भारतीय सिनेमा और विश्वसिनेमा के बीच के फर्क और जीवन-जगत के सच के प्रति लोगों के विचारों की अभिव्यक्ति के लिए मौका देना.

कबीर गायन एवं संत कथन

गाँवों में परोसी जा रही भ्रष्ट, फूहड़ और स्त्रीविरोधी संस्कृति, सिनेमा और गैर सिनेमा गीतों, लोककलाओं के पतनशील रूपों के बरक्स जनमानस के बौद्धिक और आत्मिक विकास के लिए कबीर, रैदास, सरहपा, दादू, चोखामेला, मीरां जैसे संतों की कविताओं एवं आधुनिक शायरों-कवियों की ग़ज़लों और कविताओं के गायन की विशिष्ट मंडलियाँ गठित करना एवं निरंतर प्रस्तुतियां देना. पहले से सक्रिय गायन-समूहों को प्रगतिशील चेतना के लिए अभिप्रेरित करना जिससे सामाजिक भेदभाव, साम्प्रदायिकता और जातिवाद के विरुद्ध एक नया समाज बनाया जाये.

चित्रकारिता

लोकचित्रकारों द्वारा नगरों और ग्रामों में काम , ग्रामीण और कस्बाई स्तर पर चित्र-प्रदर्शनियों , कलाशिविरों और विचार-गोष्ठियों के साथ ही ग्राम्य-यात्राओं के माध्यम से समकालीन जीवन की खोज-परख के कार्यक्रम आयोजित करना. चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन . लोकचित्रकारों से भेंट.

दस्तकारिता

गाँवों और कस्बों के दस्तकारों की खोज. उनके जीवन और कामों का विस्तृत परिचय बनाना और ऑनलाइन करना. उनके कामों के सम्मान में कार्यक्रम आयोजित करना और उनका जनसम्मान.